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शायरी अपने प्रेम का इज़हार करने का बहुत खूबसूरत रास्ता है, वरन आज ही नही सदियो से शायरी के द्वारा ही लोग अपने जज़्बात, प्यार, क़ेयर और भावनाओ को दर्शाते है! शायरी हमारी भावनाओ के साथ साथ हमारी मानसिकता को भी दर्शाती है, पुराने ज़माने में राजा महाराजा अपने दरबारों में ऐसे लोगो को खास मुकाम और इज़्ज़त देते थे जो शायरी के माध्यम से प्रेम रस की नदिया बहाया करते थे!
हालाँकि समय के साथ शायरी का रूप भी बदल गया है, वैसे तो अपने प्यार का इज़हार करना अपितु बहुत कठिन कर्म है लेकिन शायरी ने इस काम को बहुत ही आसान बना दिया है! साधारण धारणा ये है की प्रेम का अर्थ केवल प्रेमी प्रेमिका वाला प्रेम ही समझा जाता है जिसमे प्रेमी अपनी प्रेमिका को अपने प्रेम का प्रस्ताव रखने के लिए लव अथवा रोमॅंटिक शायरी का उपयोग करता है अपितु ये कटु सत्य है कि शायरी की वयाखया करना अथवा उसे सीमाओ में बाँधना नामुमकिन hai, जहाँ तक मैं समझती हू – शायरी का केंद्र एशिया के मुख्य देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देश ही है, लेकिन अफ़सोस की बात ये है की सभी जगह शायरी को प्रेमी-प्रेमिका का ही केंद्र माना गया है, जबकी हम सभी ये मानते है की प्रेम कई प्रकार के होते है जैसे मा-बाप, भाई-बहिन, पति-पत्नी का प्रेम, धार्मिक प्रेम, देश प्रेम, पशु-पक्षी से प्रेम और सबसे बढ़ कर मानव जाति से प्रेम,लेकिन कोई भी इन सब प्रेम की बात नही करता है, शायरी का नाम आते ही सभी का दिमाग़ उस प्रेम कि तरफ पहुच जाता है जो कि साधारणता इस समाज मे सुवीकार्य नही किया जाता है! जबकी शायरी इन सब बन्धनो से मुक्त है, उसे तो किसी भी जगह पर कोई भी आयाम मे ढाला जा सकता है, ये तो शायर और शायरी के सुनने वालो पर निर्भर है ऐसे मे शायरी के लिए कोई खास किस्म की मानसिकता समझ से परे है! हम क्यू भूल जाते है की यही शेर ओ शायरी जब वयंग का रूप लेती है तो लोगो के होटो की मुस्कान बन जाती है, जब देश के लिए हो तो देश प्रेम की हिलोरे दिलो मे दौड़ा देती है, यही शायरी जब मंच पर आए तो उजड़ो निचलो की आवाज़ बन जाए, यही शायरी महफ़िलो का श्रंगार बन जाती है, मेरी नज़र मे तो शायरी एक कला है जिसके माधयम से वयक्ति अपनी कला को ही पारदर्शित करता है! ऐसे मे उसे किसी देश किसी वयक्ति विशेष या किसी तरह का पूर्वाभास रखना कदापि उचित नही है! शायरी तो हमे उचित मार्गदर्शन दे कर आपस मे प्यार और भाई चारे का संदेश देती है, देखा जाये तो आज के युग में शायरी का माध्यम ज़रूर बदल गया है लेकिन उसकी प्रसंगिकता में कोई कमी नहीं आयी है, ऐसे में जब दुनिया विनाश की और बढ़ रही है और इंसान-इंसान को मार रहा है और नैतिक मूल्यों का पतन तेज़ी से हो रहा है तो ऐसे में शायरी ही ऐसा माध्यम बन के उभरी है जिसके माध्यम से मानवता का पाठ एक बार फिर से इंसानो को पढ़ाया जा सकता है और शांति की बहाली में इसे एक महत्वपूरण हथियार के रूप में उपयोग किया जा सकता है!
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